Pujya Premanand Ji Maharaj : वृंदावन के रसिक संत स्वामी प्रेमानंद जी महाराज का आज के समय में युवा नौजवान सभी लोग उनके सत्संग को सुनते और पसंद भी करते हैं। प्रेमानंद जी महाराज राधा रानी और कृष्ण भगवान जी के अनन्य भक्त हैं और वह सभी भक्तों को राधा राधा नाम जप करने को निरंतर कहते रहती हैं ऐसे ही एक भक्त ने पूछ लिया कि गुरुजी हम पति-पत्नी घर छोड़कर नौकरी में व्यस्त रहते हैं ।
हमारी ढाई साल की बिटिया है हम उसके पालन पोषण के लिए समय नही दे पाते हैं जिसके कारण एक चिंता बनी रहती है ना ही नौकरी मे मन लगत है ना ही किसी भी कार्य में इस बात को सुनते हुए
गुरुदेव ने कहा -
प्रेमानंद महाराज जी ने कहा जिनके लिए हम रुपया कमा रहे हैं उनके लिए समय नहीं निकल पा रहे हैं तो ऐसा रुपया किस काम का गुरु जी कहते हैं कि थोड़ा धन काम कामे लेकिन अपने बच्चों को प्यार दुलार करके अगर उनको सही रास्ता दिखा सकें यही हमारा कर्तव्य है।
गुरुजी कहते हैं कि हम यह नहीं कहते कि आप घर पर बैठ जाए पर ऐसा कम रखो कि थोड़ी देर पिता का प्यार और थोड़ी देर माता का प्यार बच्चों को मिलना चाहिए क्योंकि अगर प्यार नहीं दोगे तो कल फिर वह अपने स्वरूप में आएंगे तब आपको प्यार नहीं देंगे वह जैसे-जैसे सयानी होंगे वैसे-वैसे आपकी प्रति आपके प्रति पाठशाला ना मिलने के कारण वह भाव नहीं रहेगा. फिर आप वृद्धावस्था में चाहोगे कि आपको प्यार मिल जाए तो ऐसा नहीं हो पाएगा. ब्रह्मानंद महाराज जी कहते हैं कि अर्थ ही सब कुछ नहीं है प्यार भी अपने आप में आनंद का विषय है।
प्रेमानंद महाराज जी का कहना है कि यदि आपने माता-पिता को अनाथालय भेज दिया और आप हर महीने पैसे देते जाएंगे तो क्या वह माता-पिता की सेवा कहलाएगी। गुरु जी कहते हैं कि जब अपना बच्चा प्यार करेगा तो वह समय आपको पुष्ट लगेगा ना कि बाहर का अच्छा भोजन।