Premanand Govind Sharan Ji Maharaj : पूज्य बिहारीदास जी महाराज और पूजा प्रेमानंद महाराज जी की क्या वार्ता हुई?

 Pujya Premanand Ji Maharaj : आज के समय में प्रेमानंद जी महाराज को कौन नहीं जानता देश-विदेश से नौजवान और व्यस्क लोग भी  प्रेमानंद जी महाराज को बहुत ही पसंद करते हैं और आज के समय में सोशल मीडिया में उनके वीडियो बहुत ही वायरल हो रहे हैं। ऐसे ही पूज्य बिहारी दास जी महाराज आये प्रेमानंद जी महाराज से मिलने।

पूज्य बिहारी दास जी महाराज प्रेमानंद जी महाराज को दंडवत प्रणाम करते हैं और गुरुजी उनको खूब आशीर्वाद देते हुए बहुत ही प्रसन्न होते हैं। पूज्य बिहारी दास जी महाराज कहते हैं कि महाराज जी आपके दर्शन के लिए बहुत ही लालसा थी और आज हम बहुत ही प्रसन्न हुए हैं आपके दर्शन पाकर। 

बिहारी दास जी महाराज गुरु जी से प्रश्न करते हुए कहते हैं कि गुरुजी आपको यह कभी मन मे कि आपकी किडनी ठीक हो जाए  प्रेमानंद जी महाराज इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं कि महाराज जी मेरे मन में ऐसा कभी नहीं आता की मैं ठीक हो जाऊं। गुरु जी कहते हैं कि यह जरूर मन में आता है की भागवत विस्मरण ना हो। प्रेमानंद जी महाराज को डायलिसिस भी है परंतु उनके मन में यह सवाल कभी नहीं आता है कि वह पूर्णता ठीक हो जाए। गुरुजी कहते हैं कि जब बहुत कल तक भगवान से चित्र वृद्धि जोड़ी जाती है तो फिर चित्रवृत्ति को भगवान पकड़ लेते हैं। क्योंकि भगवान का पकड़ना बहुत ही सच्चा होता है और उसी में हम आनंदित रहते हैं। 

पूज्य प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं की किडनी के दुख में हमें एक परसेंट भी नहीं रहते हैं क्योंकि हमारा शरीर सब जाए पर हमारे शरीर से भागवत विस्मरण ना हो। 

एक घटना बताते हुए परमानंद जी महाराज कहते हैं कि :

गुरुजी के जीवन में एक घटना घटी थी तब से गुरुजी निहाल हो गए हैं और वह कहते हैं कि जब हमको किडनी की रिपोर्ट मिली थी और हमें पता नहीं था कि किडनी किसे कहते हैं तो रामकृष्ण परमहंस के जो स्वामी जी थे उन्हें बताया कि शरीर के दो अंग हैं जिनकी फेल हो जाने पर इंसान मर जाता है उसे किडनी कहते हैं। क्योंकि प्रेमानंद जी महाराज गंगा के किनारे रहते थे। और गुरु जी कहते हैं कि ना ही हमें आधुनिकता का ज्ञान था ना ही डॉक्टरी का ज्ञान था तो उसे समय हमको बहुत ही रोना आया था क्योंकि हम एकांत में थे ना ही कोई हमारी समस्या का समाधान करने वाला था ना हमारे पास पैसे थे। 

उसे समय गुरु जी को ऐसा लगा कि शरीर से प्राण निकल जाएंगे और हम श्रीजी की भक्ति नहीं कर पाएंगे क्योंकि ना शरीर रहेगा ना भक्त हो पाएगा। तो उसे समय हमने अपने मन से निकाल दिया कि हमारा शरीर ठीक हो जाए बस हमको यह लगता था की भागवत विस्मरण ना हो और उसे समय से हम निहाल हो गए और राधा-राधे नाम जप करने में विलीन हो गए। 

Premanand Govind Sharan Ji Maharaj : पूज्य बिहारीदास जी महाराज और पूजा प्रेमानंद महाराज जी की क्या वार्ता हुई? 






Post a Comment

Previous Post Next Post