गुरु बिन कौन उतारे पार भजन लिरिक्स - Guru Bin Kaun Utare Par Bhajan Lyrics
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
बिना गुरु के जो भी उतरे
डूब गया मझदार गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
मानुष जीवन का ये चोला
इस कारण ये है अनमोला
बिना गुरु के सत्संग समझो
ये जीवन बेकार गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
धरम कर्म की भाषा क्या है
मुक्ति की परिभाषा क्या है
बिना गुरु के समझ ना आवे
जगत का ये जो भार गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु ज्ञान तो है इक सागर
शांत भई जग मन की गागर
रोम रोम में गुरु रूप में
पायो कृष्ण मुरार गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
स्वयं ब्रम्हा हैं गुरु हमारे
फिर क्यों जाते द्वारे द्वारे
कुछ भी बाहर नहीं है इनसे
निराकार साकार गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
मन मुख हर एक पग पे अटके
गुरु मुख दास कभी ना भटके
गुरु कृपा से ही संभव है मन के मिटे विकार
गुरु बिन कौन उतारे पार
गुरु बिन कौन उतारे पार
Guru Bin Kaun Utare Par Bhajan Lyrics
गुरु बिन कौन उतारे पार भजन लिरिक्स - Guru Bin Kaun Utare Par Bhajan Lyrics
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