Pujya Premanand Ji Maharaj : मुजफ्फरनगर से आए भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज को दंडवत प्रणाम करते हुए कहा कि महाराज जी में शादी से पहले बहुत ध्यान से पूजा पाठ करती थी लेकिन शादी एक ऐसे इंसान से हुई जिसमें सभी अवगुण है और मेरे पूजा पाठ को ढोंग कहते हैं।
प्रेमानंद जी महाराज बोले :
यह बात सुनकर प्रेमानंद जी महाराज बोलते हैं की माताजी आप उनकी बातों को छोड़ो और कहते हैं कि आप शादी और दुनिया की प्रपंच में मत पड़ो। क्योंकि जो कर्मों का संयोग था वो दुल्हा बन कर आ गया। अब ऐसे दुल्हा को पकड़ो जो शाश्वत और अविनाशी है।
फिर माताजी ने कहा कि जैसे हम पूजा पाठ करते हैं तो वह हमें अब शब्द बोलते हैं इस बात को सुनते गुरु जी कहते हैं कि यह बात बहुत ही बढ़िया है क्योंकि जब लंका में रहकर भक्त हो सकती है तो घर में रहकर क्यों नहीं हो सकती। यदि पति विरोध करते हैं तो आप पूजा पाठ मत करो परंतु आप अपने हृदय से राधा राधा नाम जप कर सकते हैं। और इस भक्ति को कोई भी नहीं रोक सकता है। पूज्य प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि यदि हम आंतरिक भक्ति करते हैं उससे भी हमें भगवान की शरणागति प्राप्त हो जाती है।
गुरुजी कहते हैं कि कोई किसी का पति नहीं है कोई किसी की पत्नी नहीं है। यहां सभी लोग अपने कर्मों का हिसाब करने हैं जब कर्मों का हिसाब हो जाएगा तो हम इस दुनिया को छोड़कर चले जाएंगे। प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि हमें किसी की बिना परवाह किए हैं राधा राधा नाम जप करते रहना चाहिए।
प्रेमानंद जी महाराज श्वास के माध्यम से राधा राधा नाम लेने को कहते हैं क्योंकि हृदय की प्यार को कोई भी नहीं जान पाएगा।