Pujya Premanand Maharaj Ji : भारत के केंद्रीय मंत्री VL Verma जी और सांसद प्रियंका चतुर्वेदी श्री प्रेमानंद महाराज जी की शरण में पहुंचे। सांसद जी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत ही वायरल हुआ। आईए जानते हैं प्रेमानंद महाराज जी से क्या वार्तालाप हुई।
भारत के केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और सांसद प्रियंका चतुर्वेदी जी ने किया दंडवत प्रणाम :
महाराज जी की वीडियो में देखा जा सकता है कि सबसे पहले केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और सांसद जी ने प्रेमानंद महाराज जी को दंडवत प्रणाम किया इसके बाद दोनों ने महाराज जी से उनका हाल चाल पूछा। महाराज जी आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहते हैं कि भगवान ने जो आपको सेवा दी है आप निर्भय और निर्लोभी होकर हमारे राष्ट्र की सेवा कीजिए यही भगवान की पूजा है और बीच-बीच में भगवान का नाम स्मरण कीजिए। क्योंकि एक समय वह भी आएगा ना ही यह शरीर रहेगा ना ही यह पद रहेगा।
प्रेमानंद महाराज जी सदैव ही नाम जप करने के लिए कहते हैं क्योंकि एक समय ऐसा भी आता है कि ना ही यह शरीर रह जाता है ना ही यह पद रह जाता है और ना ही कोई मित्र यदि हमारी मित्रता भगवान से हो जाती है तो हमें जीवन में सुख ही सुख प्राप्त होता है। प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि जो भी नाम आपको प्रिया हो राम नाम, कृष्णा नाम वह नाम आप जाप कर सकते हैं।
गुरु जी कहते हैं की धरमपूर्वक आप अपने कर्तव्य का पालन करिए यही सबसे बड़ी पूजा है बीच-बीच में भगवान का नाम स्मरण करते रहेंगे क्योंकि जीवन हमारा अविनाशी नहीं है हमारा जीवन हर समय मृत्यु के घेरे के अंतर्गत है कभी भी किसी भी पर किसी भी क्षण समाप्त हो सकता है।
वृंदावन के रसिक संत श्री प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि हम अपनी समाज सेवा को भगवान की पूजा बना ले और हो सके तो कोई भी नशा ना करें यही जीवन का लक्ष्य होना चाहिए। क्योंकि यदि भगवान को प्रसन्न नहीं किया तो जीवन की कोई भी लक्ष्य की पूर्ति नहीं हुई है।
प्रियंका चतुर्वेदी जी ने गुरु जी से कहा कि गुरु जी मैं आपको देखती रहती हूं और मैं आपके वचनों से बहुत ही प्रभावित हुई हूं प्रियंका चतुर्वेदी ने जी ने गुरु जी से कहा कि अभी महाराष्ट्र में चुनाव हुए थे मैंने बहुत ही मेहनत की थी और उसमें मुझे हार मिली उसे समय पर आपकी जो शब्द थे वह बहुत ही सुकून दिए हैं इसलिए मैंने सोचा की आपसे मिलना चाहूंगी। जिससे आपका आशीर्वाद मिल सके और थोड़ा और साहस बढ़ सके।
इस बात का गुरुजी ने उत्तर दिया कि सुख-दुख हमें समान भाव रखना चाहिए । क्योंकि भगवान ने भी अपने जीवन में कभी-कभी हार स्वीकार की है तो हमें भी कभी यह दिए हा हो जाती है तो गंभीर रहना चाहिए क्योंकि सदैव हार टिक्की नहीं रहेगी। यदि विजय नहीं टिकी तो पराजय कैसे टिकेगी। गुरु जी कहते हैं कि हमें हर में निराश नहीं होना चाहिए।